उक्त मंदिर भरतपुर बयाना मुख्य मार्ग से लगभग 2 किमी अंदर स्थित हैं। मंदिर में मां कैला देवी जी व महालक्ष्मी जी की विग्रह हैं। जनश्रुति अनुसार उक्त दोनों विग्रह द्वापरयुगीन हैं । कहा जाता हैं कि कलासुर नामक दानव का वध करने हेतु मां केलादेवी जी मां महालक्ष्मी के साथ इस स्थान पर प्रकट हुई थी । भरतपुर राज्य के तत्कालीन महाराजा श्री किशन सिंह जी द्वारा उक्त मंदिर और इसके पास रवि अमृत कुंड का जीर्णोद्धार कराया था। महाराज किशनसिंह ने अपने राज्य में पशु बलि करने की परम्परा इसी मंदिर से बंद करते हुए जीवदया का उत्कृष्ट आदर्श प्रस्तुत किया था। उक्त देवी भरतपुर रियासत के महाराजाओं की कुलदेवी है। यहां प्रतिवर्ष दो बडे मेले आयोजित होते है। चै़त्र व शारदीय पन्द्रह दिवसीय नवरा़त्रा मेलों का आयोजन देवस्थान विभाग द्वारा किया जाता हैं। जिनमें राज्य एवं राज्य के बाहर से लाखों श्रृद्धालु आते हैं। उक्त मेलों में विभिन्न विभागों का सहयोग रहता हैंं। मंदिर में श्रृद्धालुगण अपने विवाह की जात लगाने तथा बच्चों के मुण्डन हेतु भी आते है। मंदिर क्षेत्र में रवि अमृत कुण्ड के अलावा एक अन्य पवित्र कुण्ड काली सिल भी हैं। इस मंदिर हेतु भरतपुर जिलें के विभिन्न भागों से पदयात्राएं भी जाती हैं। तथा श्रुद्धालु दण्डवत परिक्रमा भी करते हैं।
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